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स्तन कैंसर भारतीय महिलाओं में पाया जाने वाला सबसे आम प्रकार का कैंसर है। अध्ययनों से पता चलता है कि हर 4 मिनट में एक महिला के स्तन कैंसर का पता चलता है। सबसे आम कैंसर होने के बावजूद, अगर इसका जल्द पता चल जाए तो सही क्लिनिकल जांचों के माध्यम से इसका इलाज हो सकता है और इससे उभरकर जीवित रहने की दर काफी अच्छी है।
शारीरिक परीक्षण, ABVS और डिजिटल मैमोग्राफी जैसी स्क्रीनिंग विधियों से स्तन कैंसर का जल्द पता लगता है और ये विधियां रोगियों को इस बीमारी से लड़ने का सबसे अच्छा अवसर प्रदान करती है
डिजिटल मैमोग्राफी स्तन कैंसर के लिए अत्यधिक सुरक्षित, गैर-इनवेसिव यानी गैर-आक्रामक और प्रभावी जांच पद्धति है।
डिजिटल मैमोग्राफी विधि स्तनों की छवियां लेने के लिए कम-मात्रा के विकिरण एक्स-रे का उपयोग करती है, और बाद में इन छवियों का उपयोग हानिरहित और घातक ट्यूमर जैसी असामान्यताओं का पता लगाने के लिए अध्ययन किया जाता है। पारंपरिक मैमोग्राफी (फिल्म मैमोग्राफी) और डिजिटल मैमोग्राफी के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि डिजिटल मैमोग्राफी विधि में छवि को फिल्मों पर कैप्चर न करके बल्कि सीधे एक विशेष कंप्यूटर पर कैप्चर और रिकॉर्ड किया जाता है।
डिजिटल मैमोग्राफी के द्वारा रेडियोलॉजिस्ट ज़ूम इन कर सकता है और असामान्यताओं को बेहतर ढंग से देख पाता है और वह सर्वोत्तम क्लिनिकल निर्णय ले सकता है जबकि फिल्म मैमोग्राफी में ऐसा नहीं हो पाता है।
चूंकि इसमें फिल्म मैमोग्राफी की तुलना में ज़्यादा अच्छे परिणाम मिलते हैं इस लिए डिजिटल मैमोग्राफी करने के बाद दुबारा परीक्षण करने की ज़रूरत नहीं रहती है।
डिजिटल मैमोग्राफी में विकिरण की मात्रा 25% कम हो जाती है, अतः यह पुरानी जांच तकनीकों की तुलना में अधिक सुरक्षित है।
डिजिटल मैमोग्राम उन महिलाओं में स्तन कैंसर का पता लगाने में विशेष रूप से सहायक हैं जिनके स्तन ऊतक घने होते हैं ।
यह एक गैर-इनवेसिव यानी गैर-आक्रामक प्रक्रिया है जो समय कम लेती है और सटीक परिणाम देती है।