भारतीय महिलाओं में यह सबसे आम कैंसर होने के बावजूद, एचसीजी में ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर का इलाज 86.9% मामलों में उपचार के बाद 5 साल तक जीवित रहने की दर के साथ किया जाता है। प्रारंभिक पहचान और समय पर इलाज के लिए नियमित जांच का विकल्प चुनें।
ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें ब्रेस्ट (स्तन) की कोशिकाएं (सेल्स) असामान्य रूप से बढ़ती हैं और एक ट्यूमर बन जाता है। स्तनों में तीन भाग होते हैं : नलिकाएं, लोब्यूल और संयोजी ऊतक। अधिकांश ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर नलिकाओं और लोब्यूल में शुरू होते हैं।
आंकड़े बताते हैं कि भारतीय महिलाओं में ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर सबसे आम कैंसर है। जागरुकता और नियमित जांच से ब्रेस्ट कैंसर का शुरुआती चरण में ही पता लगाने में मदद मिल सकती है, जब बीमारी का सकारात्मक परिणामों के साथ इलाज किया जा सकता है।
एचसीजी में ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर का इलाज 86.9% मामलों में उपचार के बाद 5 साल तक जीवित रहने की दर के साथ किया जाता है, जो भारत में सबसे अधिक है। हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू में प्रकाशित एक केस स्टडी ने बताया है कि ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर के मामलों में एचसीजी में उपचार के बाद पांच साल तक जीवित रहने की दर वैश्विक मानकों के बराबर है।
ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर को ट्यूमर का स्थान, प्रसार की सीमा, हार्मोन रिसेप्टर्स की मौजूदगी और उसके फैलने की गती (आक्रामकता) जैसे कई कारकों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर की दो व्यापक श्रेणियां हैं:
ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर के लक्षण हर व्यक्ति में भिन्न भिन्न होते हैं। नीचे ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर के सामान्य लक्षण दिए गए हैं :
अधिकांश ब्रेस्ट (स्तन) की गांठ कैंसर नहीं होती हैं। हालांकि, अगर महिलाओं को ब्रेस्ट (स्तन) पर गांठ दिखाई देती है तो उनको उसकी जांच करने के लिए विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए।
ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर का सटीक कारण अबतक स्पष्ट नहीं है। हालांकि, निम्नलिखित कुछ कारक बताएं गए है जो ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर के जोखिम को बढ़ाते है।
ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर की जांच से ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर का उसके प्रारंभिक चरण में पता लगाने में मदद मिलती है, जिससे एक सफल नैदानिक परिणाम प्राप्त होता है। ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर की जांच के लिए ब्रेस्ट (स्तन) परीक्षण और मैमोग्राफी यह सामान्य प्रक्रियाएं हैं।
ब्रेस्ट (स्तन) कैंसर के लिए उपचार योजना ट्यूमर के स्थान, ट्यूमर के आकार, मरीज़ के मासिक धर्म के कारकों, कैंसर के प्रकार, मरीज़ की उम्र और मरीज़ की कुल स्वास्थ्य स्थिति जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। प्रमुख उपचार विधियों में सर्जरी, रेडियोथेरेपी और सिस्टमिक थेरेपी शामिल हैं। उपचार यूनिमॉडल या मल्टीमॉडल हो सकता है।