भारत में छह सबसे आम गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जठरांत्र) (जीआई) कैंसर हैं अन्नप्रणाली, पेट, लीवर (यकृत), कोलोन (बृहदान्त्र), रेक्टम (मलाशय) और गॉल ब्लैडर (पित्ताशय) के कैंसर।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (जठरांत्र मार्ग) (जीआई) मुंह से शुरू होता है और गुदा पर समाप्त होता है। जीआई ट्रैक्ट, 25 फीट का मार्ग है, जो मुंह, अन्नप्रणाली, पेट, छोटी और बड़ी आंतों, अग्न्याशय, लीवर (यकृत), पित्त प्रणाली, रेक्टम (मलाशय) और गुदा जैसे अंगों के समूह को संदर्भित करता है। इन अंगों से उत्पन्न होने वाले कैंसर को सामूहिक रूप से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जठरांत्र) कैंसर के रूप में जाना जाता है।
नवीनतम सांख्यिकीय रिपोर्टों के अनुसार, भारत में छह सबसे आम जीआई कैंसर हैं उसमे इसोफेजियल (अन्न प्रणाली) कैंसर, पेट कैंसर, लीवर (यकृत) कैंसर, कोलन (बृहदान्त्र) कैंसर, रेक्टल (मलाशय) कैंसर और गॉल ब्लैडर (पित्ताशय) कैंसर शामिल हैं। कम आम जीआई कैंसर में अग्नाशय का कैंसर, छोटी आंत का कैंसर, अपेंडिक्स कैंसर, न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर, गुदा कैंसर और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जठरांत्र) स्ट्रोमल ट्यूमर शामिल हैं।
ट्यूमर की उत्पत्ति के स्थान के आधार पर इन कैंसर के लक्षण अलग अलग हो सकते हैं। कोई भी जीआई लक्षण जो दो सप्ताह से अधिक समय तक बना रहता है उसे कभी भी अनदेखा नहीं करना महत्वपूर्ण है - यह स्थिति का जल्दी पता लगाने में और समय पर प्रबंधन करने में मदद करता है।
एचसीजी में, अनुभवी जीआई कैंसर विशेषज्ञों की देखरेख में मरीज भारत में सबसे अच्छा गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जठरांत्र) कैंसर उपचार प्राप्त करते हैं।
आमतौर पर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जठरांत्र) कैंसर के लक्षण उन्नत चरणों तक दिखाई नहीं देते हैं। यह जीआई कैंसर के प्रकार पर भी निर्भर हो सकता है। एसोफेजेल कैंसर वाले लोगों को निगलने में कठिनाइयों का अनुभव हो सकता है; दूसरी ओर, पेट के कैंसर के मरीज़ों में अल्सर जैसे लक्षण (जैसे, अपच, सूजन और दर्द, भूख न लगना आदि) हो सकते हैं। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जठरांत्र) कैंसर से जुड़े सामान्य लक्षणों की सूची निम्नलिखित अनुसार हैं :
जीआई कैंसर के प्रत्येक प्रकार के अपने अलग जोखिम कारक हैं। हालाँकि, कई मामलों में, जीवनशैली को प्रभावित करने वाले कारक एक भूमिका निभा सकते हैं। मोटापा, व्यायाम की कमी, धूम्रपान, खराब आहार, और अत्यधिक शराब का सेवन यह सभी इसके उदाहरण हैं। इस बीमारी का पारिवारिक इतिहास होने पर भी मरीज़ इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। ध्यान मे रखने के लिए अन्य पहलू हैं :
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जठरांत्र) कैंसर का निदान करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला दृष्टिकोण पूरी तरह से जिस प्रकार के कैंसर का संदेह हो उस कैंसर के प्रकार पर निर्भर करता है। जीआई कैंसर का पता लगाने और निदान करने के लिए बार बार इस्तेमाल किए जाने वाले तरीके निम्नलिखित हैं :
कैंसर का प्रकार, उसका चरण, और अन्य सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं यह कुछ मुख्य कारक हैं जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जठरांत्र) कैंसर का इलाज कैसे किया जाता है इस बात को प्रभावित करते है। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जठरांत्र) कैंसर के प्रबंधन के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा) यह सामान्य उपचार विकल्प उपलब्ध हैं।