मल्टीपल मायलोमा या कहलर की बीमारी तब होती है जब प्लाज्मा सेल्स (कोशिकाएं) कैंसरस बन जाती हैं और बोन मैरो (अस्थि मज्जा) में असामान्य रूप से विभाजित होने लगती हैं और अंततः शरीर में मौजूद विभिन्न हड्डियों में ट्यूमर बन जाती हैं।
बी लिम्फोसाइट्स (बी सेल्स), बोन मैरो (अस्थि मज्जा) में उत्पन्न होने वाली एक प्रकार की सफेद रक्त कोशिका होती है, जो प्लाज्मा सेल्स (कोशिकाओं) को जन्म देती हैं। जब बैक्टीरिया या वायरस शरीर को संक्रमित करते हैं, तब बी सेल्स (कोशिकाएं) प्लाज्मा सेल्स (कोशिकाओं) में बदल जाती हैं। ये प्लाज्मा सेल्स (कोशिकाएं) एंटीबॉडी का संश्लेषण करना शुरू कर देती हैं, जो बैक्टीरिया और वायरस से लड़ते हैं और संक्रमण और बीमारी को रोकते हैं।
भारत में, ल्यूकेमिया और नान-हॉजकिन्स लिंफोमा के बाद मल्टीपल मायलोमा तीसरा सबसे आम हेमेटोलॉजिकल कैंसर है।
लक्षणों की गंभीरता, रोग के बढ़ने की दर और अन्य कारक हर एक मरीज़ में अलग अलग होते हैं। कुछ मामलों में, मल्टीपल माइलोमा वाले मरीज़ों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। मल्टिपल मायलोमा के मरीज़ों में आमतौर पर देखे जाने वाले कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं :
कई लोगों में यह लक्षण किसी अन्य स्वास्थ्य स्थितियों से भी जुडे हुए होते है; इसलिए, निर्णायक निदान प्राप्त करने के लिए चिकित्सक के पास जाना महत्वपूर्ण है।
मल्टीपल मायलोमा का सटीक कारण पता नहीं है। हालांकि, मल्टीपल मायलोमा के लिए कुछ जोखिम कारकों की पहचान की गई है :
मल्टिपल मायलोमा का पता लगाने और निदान करने के लिए कई नैदानिक विधियां उपलब्ध हैं। एचसीजी में हमारे विशेषज्ञ मल्टिपल मायलोमा के मरीज़ों को बेहतर निदान सहायता प्रदान करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि उन्हें पहली बार में ही सही उपचार मिले।
मल्टीपल मायलोमा के लिए विभिन्न उपचार विकल्प उपलब्ध हैं। समय पर निदान और उचित उपचार योजना मल्टिपल मायलोमा के सफल प्रबंधन के लिए सहायक होती है। मल्टीपल मायलोमा के लिए उपलब्ध मुख्य उपचार विकल्प निम्नलिखित हैं :