ऑस्टियो सार्कोमा भारत में एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है। यह बच्चों और युवा वयस्कों में अधिक पाया जाता है। यह आमतौर पर पैरों या बाहों के क्षेत्रों में शुरू होता है - लेकिन यह शरीर में किसी भी हड्डी में बन सकता है।
ऑस्टियो सार्कोमा या ऑस्टियोजेनिक सार्कोमा तब होता है जब हड्डियों में सेल्स (कोशिकाएं) असामान्य रूप से विभाजित होने लगती हैं। यह हड्डी के कैंसर का सबसे आम प्रकार है। हालाँकि, यह सॉफ्ट टिशू (कोमल ऊतकों) में भी बन सकता है।
ऑस्टियो सार्कोमा बच्चों और युवा वयस्कों में अधिक प्रचलित है। यह आमतौर पर पैरों या बाहों के क्षेत्रों में शुरू होता है - लेकिन यह शरीर में किसी भी हड्डी में बन सकता है।
ऑस्टियो सार्कोमा के उत्पत्ति के स्थान और उनके चरण के आधार पर उसके कई प्रकार होते हैं।
ऑस्टियो सार्कोमा भारत में एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर है। यदि जल्दी पता चल जाए, तो सकारात्मक नैदानिक परिणामों और उत्कृष्ट उत्तरजीविता दरों के साथ ऑस्टियो सार्कोमा का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।
ऑस्टियो सार्कोमा के शुरुआती लक्षणों में से कुछ दर्द, सूजन और पीड़ा हैं। ट्यूमर के बढ़ने पर मरीज़ लंगड़ा कर चलना भी शुरू कर सकता है। ऑस्टियो सार्कोमा से जुड़े अन्य मुख्य लक्षणों में शामिल हैं :
ऑस्टियो सार्कोमा का सटीक कारण अज्ञात है। शोधकर्ताओं द्वारा कुछ जोखिम कारकों की पहचान की गई है और ये कारक ऑस्टियो सार्कोमा के विकास की संभावना को बढ़ाते हैं :
ऑस्टियो सार्कोमा का पता लगाने के लिए कई परीक्षण विकल्प उपलब्ध है और इसका निदान असंख्य नैदानिक परीक्षणों के माध्यम से किया जाता है :
ऑस्टियो सार्कोमा के लिए विभिन्न उपचार विकल्प उपलब्ध हैं। हालांकि, डॉक्टर ट्यूमर का स्थान, ट्यूमर का आकार, रोग का चरण, उसका ग्रेड, मरीज़ की उम्र और मरीज़ की समग्र स्वास्थ्य स्थिति और प्राथमिकताएं जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करके उपचार योजना तैयार करते है ।
ऑस्टियो सार्कोमा के लिए उपलब्ध मुख्य उपचार विकल्प सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा) हैं। हालांकि, ऑस्टियो सार्कोमा के मरीज़ों का इलाज टार्गेटेड थेरेपी (लक्षित चिकित्सा) से भी किया जा सकता है।