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टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर

टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर दुर्लभ प्रकार के कैंसर में से एक है। यह 15 से 45 साल की उम्र के पुरुषों में देखा जा सकता है। इस प्रकार के कैंसर का इलाज करना तुलनात्मक रुप से आसान होता है, खासकर अगर शुरुआती चरणों में इसका पता चल जाए।

अवलोकन

जब टेस्टिकल (वृषण) या अंडकोष में मौजूद सेल्स (कोशिकाएं) अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं तब टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर होता है । यह दुर्लभ कैंसर में से एक है, और इसे 15 से 45 साल की उम्र के पुरुषों में देखा जा सकता है।

टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर का जोखिम उन लोगों में तुलनात्मक रुप से अधिक होता है जिन्हें अन्डिसेन्डिड टेस्टिस (अवरोही वृषण) या क्रिप्टोर्चिडिज़्म (गुप्त वृषणता) होते हैं, यह एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें स्क्रोटम (अंडकोश) की एक साइड या दोनों साइड खाली होती हैं और टेस्टिकल (वृषण) ग्रॉइन (पेट और जांध के बीच का भाग) या पेट में स्थित होते हैं। टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर का पारिवारिक इतिहास होना भी इस बीमारी के लिए एक जोखिम कारक माना जाता है।

टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर का इलाज करना तुलनात्मक रुप से आसान होता है, खासकर अगर प्रारंभिक अवस्था में इसका पता चल जाए।

प्रकार

जिस गति से वे बढ़ते हैं, उसके आधार पर टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर को सेमिनोमा और नॉनसेमिनोमा ऐसे दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है। ये दोनों कैंसर जर्म सेल्स (कोशिकाएं) जो स्पर्म प्रोडक्शन के लिए जिम्मेदार होती हैं, उससे पैदा होते हैं

स्टोमल ट्यूमर एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें टेस्टिकल (वृषण) में नॉन - कैंसरस ट्यूमर बनते हैं; लेडिग सेल ट्यूमर और सर्टोली सेल ट्यूमर यह स्ट्रोमल ट्यूमर के दो प्रकार होते हैं। बचपन के दौरान स्ट्रोमल ट्यूमर अधिक आम हैं।


लक्षण

टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर से जुड़े मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं :

  • स्क्रोटम (अंडकोष) में अचानक से तरल पदार्थ का जमा होना और सूजन होना
  • स्क्रोटम (अंडकोष) में भारीपन महसूस होने लगता है
  • स्क्रोटम (अंडकोष) में गांठ का होना
  • पेट के निचले हिस्से या ग्रॉइन (पेट और जांध के बीच का भाग) में हल्का दर्द
  • स्क्रोटम (अंडकोष) में दर्द
  • स्क्रोटम (अंडकोष) सिकुड़ने लग सकते हैं

कारण

टेस्टिकुलर कैंसर के सटीक जोखिम कारक जो इस प्रकार के कैंसर का कारण बनते है वो अज्ञात हैं। हालांकि, टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर के कुछ जोखिम कारकों की पहचान कि गई है :

निदान

टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर का पता लगाने और निदान करने के लिए कई नैदानिक ​​परीक्षण उपलब्ध हैं।

इलाज

टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर के लिए उपचार योजना रोग का चरण, ट्यूमर का आकार, मरीज़ की उम्र और उसकी कुल स्वास्थ्य स्थिति आदि जैसे कई कारकों पर विचार करने के बाद बनाई जाती है । टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर के लिए आमतौर पर सिफारिश किए जाने वाले उपचार विकल्प निम्नलिखित हैं :

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

हां, टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर उपचार योग्य हैं। ज्यादातर मामलों में, सकारात्मक नैदानिक ​​​​परिणामों और उत्कृष्ट उत्तरजीविता दरों के साथ टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर का इलाज किया जा सकता है।

हालाँकि, जिस चरण में रोग का निदान किया जाता है, वह रोग के प्रोग्नोसिस (पुर्वानुमान) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर प्रारंभिक अवस्था में होते हैं तब उसके लिए उपचार कम जटिल और अधिक सफल होते हैं । ऐसा कहा जाता है, यह जानना महत्वपूर्ण है कि आज, कैंसर चिकित्सा का क्षेत्र उल्लेखनीय रूप से विकसित हो गया है, और उन्नत चरण के टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर का भी अच्छे नैदानिक ​​​​परिणामों के साथ इलाज किया जा सकता है।

यह टेस्टिकुलर (वृषण) कैंसर के प्रकार पर निर्भर करता है जिसका निदान किया गया है। सेमिनोमा तुलनात्मक रुप से धीमी गति से बढ़ता हैं और उपचार के प्रति अधिक संवेदनशील होता हैं।

दूसरी ओर, नॉनसेमिनोमा तेजी से बढ़ता हैं। चाहे यह धीमी गति से बढ़ने वाला कैंसर हो या तेजी से बढ़ने वाला कैंसर हो, मरीज़ों को रोग से संबंधित विभिन्न प्रकार की जटिलताओं से बचने के लिए समय पर उपचार प्राप्त करने की सलाह दी जाती है।

नहीं, टेस्टिकल (वृषण) में बनने वाली सभी गांठें कैंसर नहीं होती हैं। ज्यादातर मामलों में, ये गांठ सौम्य और नॉन - कैंसरस होती हैं। फिर भी, यदि कोई गांठ पाई जाती है, तो यह कैंसर है या नहीं यह सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टर द्वारा जांच की जानी चाहिए ।

ज्यादातर मामलों में, टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर का इलाज ऑर्किक्टोमी या टेस्टिकल (वृषण) को निकाल कर किया जाता है और यह प्रक्रिया मरीज़ की शुक्राणु (स्पर्म) पैदा करने की क्षमता को प्रभावित करती है। इसलिए, हाँ, टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर के उपचार बांझपन का कारण बन सकते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में, प्रजनन क्षमता में कमी अस्थायी होती है, और मरीज़ उपचार के बाद बच्चे पैदा कर सकते हैं।

जो मरीज़ इलाज के बाद बच्चे पैदा करने की उम्मीद कर रहे हैं, वे इलाज शुरू करने से पहले शुक्राणु (स्पर्म) बैंक में शुक्राणु (स्पर्म) को संरक्षित करने पर विचार कर सकते हैं।

कुछ मामलों में, टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर कुछ वर्षों के बाद वापस आ सकता है। हालाँकि, इस पुनरावर्तन का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है। उपचार के बाद डॉक्टर द्वारा सुझाई गई फालो – अप (अनुवर्ती) योजना रिलैप्स (पुनरावर्तन) के जोखिम को कम करने और उनकी शुरुआती चरणों में पहचान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए, मरीज़ों को कभी भी अपनी फालो – अप (अनुवर्ती) देखभाल को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए या अपनी फालो – अप अपॉइंटमेंट (अनुवर्ती नियुक्तियों) का सख्ती से पालन करना चाहिए।

हर दूसरे कैंसर की तरह, टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर को पूरी तरह से रोकने का कोई तरीका नहीं है। हालांकि, कुछ उपाय हैं जो आपके टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर के विकास के जोखिम को कम कर सकते हैं :

  • हानिकारक रसायनों के संपर्क में आने से बचें

    कीटनाशकों, रासायनिक उर्वरकों, इंजन ईंधन आदि जैसे कुछ रसायनों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से लंग्ज (फेफड़ों के) कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, आपको लंबे समय तक इन रसायनों के संपर्क में आने से बचना चाहिए।

  • तम्बाकू छोड़ें

    यदि आप तम्बाकू का सेवन करते हैं, तो इसे छोड़ने पर विचार करें क्योंकि यह आपके टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।

  • नियमित जांच

    यदि आपका टेस्टिकल (वृषण) संबंधी समस्याओं का इतिहास है या टेस्टिक्युलर (वृषण) कैंसर का पारिवारिक इतिहास है, तो नियमित जांच के लिए अपने डॉक्टर से बात करने पर विचार करें। इनके अलावा, आप सूजन, दर्द, नरमी और गांठ की उपस्थिति जैसे असामान्य संकेतों के लिए नियमित रूप से अपने टेस्टिकल (वृषण) की जांच भी कर सकते हैं। यदि इनमें से कुछ भी पाया जाता है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।